"सनातन धर्म जागृति सेना संरक्षण कार्यक्रम" का उद्देश्य केवल धार्मिक जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में भी गहराई से योगदान देता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, संस्कारों और शास्त्रीय ज्ञान से जोड़ने हेतु विशेष पाठ्यक्रम, कार्यशालाएं और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। प्राचीन गुरुकुल परंपरा को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ते हुए, नैतिक शिक्षा, योग, ध्यान, और जीवन मूल्यों पर आधारित विषयों को बच्चों और युवाओं तक पहुँचाया जाता है। इससे न केवल उनका चारित्रिक विकास होता है, बल्कि वे आत्मसम्मान, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी को भी अपनाते हैं। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को जड़ से जोड़ते हुए उन्हें वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने का एक सशक्त प्रयास है, जहाँ आधुनिकता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का संतुलन बना रहता है।
"सनातन धर्म जागृति सेना" द्वारा संचालित नशा मुक्त भारत कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं एवं समाज को नशे की बुराइयों से मुक्त कर एक संयमित, स्वस्थ और संस्कारी जीवन की ओर प्रेरित करना है। सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों – संयम, सदाचार और आत्मनियंत्रण – को आधार बनाकर यह अभियान समाज में जागरूकता फैलाता है। कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, ग्राम पंचायतों और शहरी क्षेत्रों में नशा विरोधी रैलियों, प्रवचनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और योग सत्रों का आयोजन किया जाता है। युवाओं को धर्म, योग, ध्यान और स्वदेशी जीवनशैली के महत्व को समझाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर और चरित्रवान बनने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह अभियान केवल नशे से मुक्ति नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत भारत के निर्माण की दिशा में एक दृढ़ संकल्प है, जो सनातन संस्कृति की जड़ों को मजबूती से थामे हुए है।
"घरेलू हिंसा मुक्त भारत कार्यक्रम" सनातन धर्म जागृति सेना की एक संवेदनशील और जागरूकता आधारित पहल है, जिसका उद्देश्य समाज से घरेलू हिंसा जैसी अमानवीय प्रवृत्ति को समाप्त करना है। सनातन धर्म में नारी को 'शक्ति', 'माँ' और 'सम्मान' का प्रतीक माना गया है। इसी भावना के साथ यह अभियान नारी गरिमा और पारिवारिक सौहार्द की रक्षा हेतु कार्य करता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत समाज में जागरूकता फैलाने के लिए प्रवचन, संगोष्ठी, नारी-सशक्तिकरण शिविर, काउंसलिंग सत्र और सहायता केंद्रों की स्थापना की जाती है। पीड़ितों को कानूनी व मानसिक सहायता प्रदान की जाती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह अभियान केवल महिलाओं की रक्षा नहीं, बल्कि एक समर्पित, सहानुभूति-प्रधान और संतुलित समाज के निर्माण की दिशा में सनातन मूल्यों पर आधारित एक सशक्त कदम है।
"विधिक साक्षरता कार्यक्रम" सनातन धर्म जागृति सेना द्वारा चलाया गया एक महत्वपूर्ण सामाजिक अभियान है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है। सनातन संस्कृति में न्याय और धर्म का गहरा संबंध है — “धर्मो रक्षति रक्षित:” की भावना इसी विचार को दर्शाती है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनजागरण अभियान, विधिक शिविर, सेमिनार, कार्यशालाएं और परामर्श केंद्रों का आयोजन किया जाता है। लोगों को भारतीय संविधान, महिला अधिकार, बाल संरक्षण कानून, घरेलू हिंसा, संपत्ति अधिकार, तथा उपभोक्ता संरक्षण जैसे विषयों पर जानकारी दी जाती है। विधिक साक्षरता न केवल अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की शक्ति देती है, बल्कि एक न्यायपूर्ण, सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अभियान सनातन धर्म के न्याय-संगत मूल्यों को सामाजिक जीवन में स्थापित करने का प्रयास है।